''चांदनी सा निखर जाऊँगा मैं''
चांदनी सा , निखर जाऊँगा मैं ,
सीधा दिल में, उतर जाऊँगा मैं|
तुम जो छू लो ,जो छूलो हमें तुम,
बनके खुशबू ,बिखर जाऊँगा मैं|
आप सावन हैं,मैं बरखा की बूँदें ,
हर कलि पर , बरस जाऊँगा मैं ।
आईना तुम मेरी, ज़िन्दगी का ,
बन गए तो ,संवर जाऊँगा मैं ।
अजनबी राह पर ,मुड गए हम ,
सोच लो तुम ,किधर जाऊँगा मैं ।
मौज-ऐ-दरिया में ,टूटे किनारे ,
थाम लो हाथ ,बह जाऊँगा मैं ।
साथ 'अनुराग तुम छोड़ना ना ,
शर्तियाँ आज ,मर जाऊँगा मैं |