ना कोई बंधन,ना कोई बेबसी देखी,
ज़िन्दगी तो दोस्तों हमने हसीं देखी।
गहराई से उठकर शिखर तक आ गए,
उनकी आँखों में चमकती रौशनी देखी।
मुश्किलें भी हमसफ़र थी रास्ता बनके,
आँख मंज़िल पर हमेशा ही जमीं देखी ।
दौड़कर आये कोई मेरे गले से आ लगे,
अपने रिश्तों में यही शामिल कमीं देखी।
वक़्त पर काम आ गए तो शुक्रिया यारों,
पर मेरी आँखों ने ज्यादतर नमीं देखी।
बाढ़ का पानी उत्तर जाता है थोड़ी देर में,
बाद में जहाँ-तहाँ ज़मीने दलदली देखी।
क्यों हर तरफ ख़मोशीयां 'अनुराग' हैं।
जब से परछांई भी अपनी अजनबी देखी।