सब्र कर हौंसला रख,धुआं छट जायेगा,
धूप निकलेगी फिर से उजाला आयेगा ।
डर के मुखौटे तोड़, ताजगी को ओढ़कर,
आसमां लहरा,इक सिलसिला बन जयेगा।
कोशिशों के बीज बोये हैं उगेंगे शर्तियाँ,
छोटी-छोटी चाहतों का कारवां बन जाएगा|
दौड़ कर आ ज़िन्दगी लग जा गले से,
मेरी बैचैनी को थोडा हौंसला मिल जायेगा |
चाहता हूँ मैं क्षितिज के पार जाना दोस्तों,
पुल बना दूंगा मुकम्बल रास्ता बन जायेगा |
ढूंढ ना पाएगी हरगिज़ ये गरीबी,भुखमरी,
ये वतन मेरा-तुम्हारा गुलिस्ताँ बन जयेगा |
चैन से सोना है गर तो जागरण है लाजमीं,
सबकी उम्मीदों मौसम खुशनुमाँ बन जायेगा |