मिला सभी का प्यार,तुम्हारा अपनापन,
आज हुआ गुलज़ार,हमारा घर -आँगन ।
पिघल गये जज्बात,जरा सी आँच मिली,
कर लो फिर श्रंगार सखी,संगी , साजन।
आशाओं के दीप-दिवाली, जला दिआ,
भाग्य लक्ष्मी आई चूमती मन-आँगन।
स्वस्थ हुआ संवाद पुनः संबंध मधुर ,
आज करो संकल्प समर्पण मन-भावन।
खुशियों के फिर फूल खिले ,डाली-डाली,
पड़ने लगी फुहार की घिर आया सावन।
पिघल गई जिद ,बर्फ हमारे रिश्तों की,
लौटाए अधिकार थाम कर दिल दामन।
खंडित होते भाव भावना अनुसूचित,
जीवन भर संघर्ष बटोरे वन - उपवन।