हम तो लिखते हैं इस दिल के एहसासों को ,
लेकिन तुम पढ़ते हो सिर्फ लिखे अल्फ़ाजो को।
मोती मिलते हैं कब छिछले पानी में यूँ ,
उतरो गहराई में समझोगे जज्बातों को।
सुनो सर्वथा स्वार्थ हृदय खोखला करेंगे,
अर्थहीन परिचर्चा छोड़ बंद करो संवादों को।
लो आखिर प्यार पराया निकला छोड़ गया,
है दर्द हमराही बहलाता है यादों को ।
है रात अगर रंगीन सुबह संगीन मिलेगी,
फिर रफ्ता - रफ्ता वक़्त भरेगा घावों को।
चलो चांदनी ओढ़ पकड़लें आसमान को,
सुलझा लें मिलजुल के आज सवालों को।
ढलता सूरज फिर आएगा लेकर नया सबेरा ,
थके हुए मन आप संभालो अपने छालों को।