वक़्त के पन्ने पलटना देखना,
धुंध के नीचे मिलेगा आईना।
टूटते रिश्ते बिखरते जा रहे हैं,
प्रेम-धागों में ,पिरोना जोड़ना।
लो बुझादो दोस्तों भड़के चिराग ,
आग लगने की प्रबल संभावना।
मत बनाओ बेबसी को सुर्खियां,
ख़ाक़ में मिल जाये ना संवेदना।
आईंना धुंधला गया उम्मीद का,
है मेरा सजना-संवरना कल्पना।
रौशनी में उठ गए सारे नक़ाब,
हो गया सच से हमारा सामना।
हो गए असफल जतन आवारगी,
है मुक़द्दर की सफलता-योजना।