आग जलती है अगर धुआं भी लाज़मीं है,
रौशनी की लहर है हवा में ताज़गी है।
प्रगति पथ पर निरंतर अग्रसर है,
मग्न, संलग्न है वो जुझारू आदमीं है।
हार, थक कर,टूट कर यूँ मत बिखरना,
अभी उम्मींद में कायम काफी नमीं है।
तुम्हारी सोच में ही फ़लसफ़े मौजूद है,
निखरती जारही देखो हमारी सरजमीं है।
हमेशा हाशिये पर हो जरुरी तो नहीं है,
अभी तो जोश में डूबी तुम्हारी ज़िन्दगी है।
नहीं अच्छा नहीं झुककर अमन की बात हो,
संभल कर पांव रखना ज़मी ये दलदली है ।
मशवरा,मौका नहीं मिलता हमेशा सोच लो,
तू खुलकर बात करना अभी तक अजनबी है।
किनारे जुड़ गए 'अनुराग'तुमने पुल बनाया,
तड़प कर बह रही अब भी बड़ी प्यासी नदी है।