मुहब्बत हमारी जबां हो गई है,
छिटक कर ज़मीं आसमाँ हो गई है ।
अजी गर्दिशों ने तराशा है इतना,
लो तूफा में कश्ती रवां हो गई है ।
उम्मीदें भी दम तोडती आ भी जाओ,
कसम प्यार की इम्तहाँ हो गई है ।
गुम गईं मंजिलें,रास्ते कारवां,हमसफर,
कल की नजदीकियां दूरियां हो गई हैं ।
तुम तो ऐसे ना थे मेहरबां क्या हुआ है,
क्या गलतफह्मीयाँ दरमियाँ हो गई हैं ।
चलो ले चलो गम ना हो आरजू भी नहीं,
राज-ए-दिल आम सी दास्ताँ हो गई है ।
लहर क्या है समंदर से पूछो ना तुम,
मौज के लुत्फ़ में वो बयाँ हो गई है ।