यूँ मत दिखाओ आँख हम बदले नहीं हैं,
हम आज भी सरहिंद हैं पुतले नहीं हैं।
फिर हो गई है तुमको खुजली काफिरों,
आकर क़तर देंगे जो पर क़तरे नहीं हैं।
डूब कर मर जाइए दो बूंद पानी में कही,
मन से बदसूरत हो तन उजले नहीं।
खोखली , बेजां दलीलें पेश करते आप,
पुंगी बजायेंगे ये आदमी पगले नहीं हैं।
कैसे - कैसे ख्वाब देखे और दिखाए,
उस बेखुदी के तर्क हम भूले नहीं हैं।
हाँ हमने चिंगारी लहू में घोल दी है,
अब देखना कितने दिन जलते नहीं हैं।
तू अपनी कोशिश में कसर मत छोड़ना,
तुम समंदर हो अभी पिघले नहीं हैं।