शुरू होते ही ख़त्म होते हैं फ़साने ज्यादा,
नए कुछ रोज के मेहमाँ हैं ,पुराने ज्यादा ।
नहीं फुर्सत उन्हें,मेरे हालात क्या जानेगे वो,
अब तो हर बात पे आते हैं ,बहाने ज्यादा ।
साथ,जज्बात जरुरी है ,निभा लो तुम भी ,
तेरे हर जिक्र में होते हैं,यार उल्हाने ज्यादा ।
उम्र छोटी है मगर ,इल्म-ए-तजुर्बा हैं हमको' ,
आँख से कम ,दिल से देखे हैं ज़माने ज्यादा ।
कितना अच्छा है सभी दर्द छुपा कर जीना ,
वरना बनते हैं बिना बात ,फ़साने ज्यादा ।
हक से मांगोगे कभी ,दिल जान भी तुम्हारी है,
रौब के बोल पड़े ,तुम्हें मोल चुकाने ज्यादा ।
कुछ भी'अनुराग'मुकम्बल कहाँ है दुनिया में ,
मिलने आते नहीं हैं लोग, वक्त बिताने ज्यादा।