बता दो देश किसका है ,कोई तो सामने आकर,
मैं हिन्दू या मुसलमां हूँ जरा समझाओगेआखिर।
मुझे भी बरगलाने की बहुत कोशिश हुई है दोस्तों,
टिका हूँ फिर भी ईमां पर कहा सबने मुझे काफ़िर।
ना जाने क्या हुआ है शहर की आब-ओ-हवा को,
चलो हम-तुम रहेंगे आज से शमशान में जाकर।
मिलेंगे दिल खिलेंगे गुल ये भूल जाओ अब नहीं,
कलेजे चाक कर देंगे तुम्हारी बाहों में आकर।
जुबां बारूद सी हैं शब्द चिंगारी चलो शोला उछालें,
जला दो बस्तियां फिर राम और रहमान के खातिर।
तुम्हें अपना बनाया घर ज़मीने,आब-इज़्जत दी,
की अब ज़िद छोड़ भी दो ना मेरे भगवान के खातिर।