आँखों में हैं ख्वाव लवों पे खामोशी,
तुम्हें हुआ अनुराग ना करिए अनदेखी।
मुश्किल से दिल मिलते हैं संवल करलो ,
करो नई शुरुआत समय की है मर्जी।
हंसी , प्रेम के लिए समय कम पड़ता है ,
नफरत है बेकार छोडिये सरदर्दी।
बीत गए जो लम्हें उनको जाने दो,
सच करलो स्वीकार ना बनिए बे -दरदी।
टूट रहे प्रितिबिम्ब करेगा क्या दर्पण ,
मैं कर दूं श्रृंगार अगर तुम चाहो जी।
सुबह सुनहरी धूप दोपहरी जलती है,
सुख - दुःख है संसार छोड़ दे हमदर्दी।
कर गुलशन गुलज़ार कहाँ तुम चले गए,
मौसम मस्त बहार लौट के आओ भी ।