हो जाये अगर प्यार तो मुश्किल है छुपाना,
आसाँ नहीं है फूँक कर सूरज को बुझाना।
माना की तेज आंधिया आएँगी बार-बार,
दिल में दिया उम्मीद का वाज़िब है जलाना।
दिल ढूंढ ही लेता है अंधेरों में हमसफ़र,
नश्तर तो कई बार चुभाता है ज़माना।
टूटेगी इंतज़ार की दीवारें एक दिन,
रूठे हुए एहसास हैं शिद्द्त से मनाना।
कहीं खो न जाए गिरके निगाहों से ज़िन्दगी,
आवाज़ दे के हमको वापस है बुलाना।
दिखने लगी है आपकी आँखों में बेबसी,
कि अंदाजा हो गया है बिशमिल है दिवाना।
हाँ हो गई है तुमसे मोहब्बत कुबूल है।
'अनुराग' ज़िन्दगी का एहसास है पुराना ।