ख़ुशी की राह में, रोड़े बहुत हैं ,
बना लो खास ,पल थोड़े बहुत हैं।
अमा मुश्किल का हल मौजूद है ,
भरेंगे देर में ,ज़ख्म गहरे बहुत है।
मेरा है दर्द से रिश्ता पुराना दोस्तों,
मधुर मुस्कान पर ,पहरे बहुत हैं।
हैं लाखों घर, शहर,ये बस्तियां भी,
अगरचे भीड़ में भी अकेले बहुत हैं।
कोई तो है जिसे मैं ढूंढता हूँ आजभी,
हमें जचता नहीं यूं तो,मिलते बहुत हैं।
हमें हो दर्द तो कोई तड़प के रो पड़े ,
चुनो ऐसा कोई भी यहाँ रिश्ते बहुत हैं।
ये कच्चा कांच है ,इसे तुम मत तराशो,
परखिये तो सही'अनुराग'हीरे बहुत हैं।