मैं क़दमों के पाक-ए-निशां ढूंढता हूँ,
प्यार की सरज़मीं आसमां ढूंढता हूँ।
है अंधेरों में गुम रह-गुज़र ज़िन्दगी,
रोशनी ढूंढता हूँ शमाँ ढूंढता हूँ।
थक चुका हूँ मगर है दूर मंज़िल अभी,
हमसफ़र ढूंढता, कारवां ढूंढता हूँ।
हैं गुलसिताँ से मौसम बहारें खफा,
आ कहाँ छुप गया बागबां ढूंढता हूँ।
टूटकर हम बिखरते रहे आज तक यूँ,
मैं पुर्जे-पुर्जे हुई दास्तां ढूंढता हूँ।