कौन कहता है कि सवेरा है,
मेरे चारों तरफ अँधेरा है।
रौशनी लेकर करूँगा क्या,
ज़िन्दगी में भी नूर तेरा है।
टूट के यूँ बिखर नहीं सकता,
मुझमें उम्मीद का बसेरा है।
अपनी रग-रग तराश ली मैंने,
वो चमकता गुरुर मेरा है।
आज मेरी तलाश ख़त्म हुई,
मंज़िले सामने पथ सुनहरा है।
सिर्फ मैं हूँ और सब मेरा है
'अनुराग' बर्बादियों ने घेरा है।