है बुलंदी काम की तो ठीक है,
भूल जाओ हार है की जीत है।
कोई तो समझो हमारी मुश्किलें,
साज़ रूठे टूटता संगीत है।
ज़िन्दगी का है अलग अंदाज़ देखो,
दोस्त फिर दुश्मन पुराना मीत है।
अब बजह जीने की हमको चाहिए,
बेबजह उलझन हमारी रीति है।
एक दो पल साथ चल कर मुड़ गए,
रास्ते ना हमसफ़र ना प्रीत है।
लौटकर ना आ सकेंगे फिर कभी,
उड़ गये पंछी मगर भयभीत हैं।
रुख हवा का देखकर मौसम बना,
प्रेम की सरगम संजोये गीत हैं।