इंसानियत,इन्साफ सब बेकार है,
मैं विरोधी दल हूँ तू सरकार है।
आप-हम दोनों गुनाहों में शरीक,
गढ़े मुर्दे उखाड़ेंगे मेरा अधिकार है।
यूँ तो अक्षर हूँ तराशा जाऊँगा,
सही से अर्थ में रखना तेरा आभार है।
बहुत छोटा सा है मेरा बजूद दोस्तों,
जहाँ तक साथ है तेरा-मेरा संसार है।
शिकायत हो अगर तो मुआफ करदोना,
तुम्हारा दंड देना भी मुझे स्वीकार है।
मेरे सजदे में अक्सर वो नहीं,जो होता है,
मुहब्ब्त शीश देती है अहम् तलवार है।
दिखा दे आज तू मेरे गुनाहों का हिसाब,
बता दे ज़िन्दगी कितनी नकद-उधार है।