मैं हूँ अँधेरे में , उजाला ढूंढ लूंगा ,
पांव का कांटा भी,छाला ढूंढूं दूँगा ।
आने वाले वक़्त का, दावा हूँ मैं ,
आदमी का घर ,निवाला ढूंढ लूँगा ।
भूख लाखों की उम्मीदें खा गई ,
वक्तकी मस्ती का प्याला छीन लूंगा।
कल नहीं बदले अगर, हालात ये,
हालात से हाला,हवाला छीन लूंगा ।
दरारें पड गईं ,दिल धडकनों में सुन,