आज मुझसे मिरा सामना हो गया,
अजनबी-अजनबीं आशना हो गया।
मैं समझाऊँ कैसे तुम्हें ज़िन्दगी,
सोचना प्यार करना मना हो गया
दर्द दीवार बनके खड़ा राह में,
बहुत मुश्किल इसे तोडना हो गया।
मत संभालो मुझे मर्जियां आपकी,
गैर मुमकिन तुम्हें भूलना हो गया।
मौज सागर की साहिल लगीं ढूंढने,
हाय तूफान का लौटना हो गया।
कोशिशें बहुत की कि बिखरने न दूँ,
अब तो पल-पल शुरू टूटना हो गया।
जिस्म तो जिस्म था रूह जलने लगी,
पाप का बोझ इतना घना हो गया।
है मिरे साय में धूप भी छाँव भी,
सीख आदत बनी थामना हो गया।
ज़ख्म 'अनुराग' अपने दिखाया करो,
मुस्कुराना तिरा कल्पना हो गया।