चाँद निकलेगा सूरज पिघल कर,
देखना तुम सितारों में ढल कर।
वक़्त एहसास अरमां दिलों के,
छूट जाते हैं पीछे संभल कर।
हैं क़यामत के दिन सब नज़ारे,
आजमायेंगे घर से निकल कर।
लुत्फ़ तुम ज़िन्दगी का उठाना मगर,
ना गिराना ना जाना कुचल कर।
बाअदब मुझमें शामिल हुये तुम,
रख दिये मेरे पल-छिन बदल कर।
आ भुला दें सभी रंज-ओ-गम को,
हैं नये दिन अब नई सी पहल कर।
लोग फिर जायेंगे कल जुबां से,
मांग लेना तेरा हक़ मचल कर।
होंगी तूफां में मौज-ए-रवानी,
आज लहरों पे चलते उछल कर।
गुनगुनाते ये नगमें हवा में,
हमसफर हैं मेरे आज-कल कर।