सौजन्य से-ग़ज़ल संग्रह"मैं सोने की चिड़िया हूँ"
जब दर्द पिघलकर के दरिया बन जायेगा,
ये नये ख्यालों का जरिया बन जायेगा।
गर आप अगर चाहें तो क्या नहीं हो सकता,
तिनको का घरौंदा भी बढ़िया बन जाएगा।
लहरों पे गुमां करना फितरत है समंदर की,
मौंजों के मचलने से तूफां बन जायेगा।
तुम चाहे जिसे देखो सब नाम के भूखे हैं,
हद से गुजर जाएंगे घटिया बन जाएगा।
रास नहीं आती है तन्हाई सिरहाने की,
यादों में चले आओ तकिया बन जाएगा।
तुम भूल गए शायद मुझे याद अभी भी है,
लौट के आओ वो पल दुनिया बन जाएगा
उम्मीद भी ज़िंदा है उम्मीद के साए में,
'अनुराग'सुना दो लोरी निदिया बन जाएगा।
अवधेश प्रताप सिंह भदौरिया'अनुराग'DT . 17032016CRAILLC 00 L