माँ के आँचल से सुहाना कुछ नहीं,
माँ के चरणों से पुराना कुछ नहीं।
माँ हमारी साँस की हर लय में हैं,
माँ के आगे धन,खजाना कुछ नहीं।
माँ शब्द सीमा से अलग है सृष्टि है,
माँ की ममता का ठिकाना कुछ नहीं।
माँ समय है सृजन का आधार निलय,
माँ को पलकों पर बिठाना कुछ नहीं।
माँ निरंतर है दुआ के रूप में भी,
माँ की नज़रों से छुपाना कुछ नहीं।
भूख़ में माँ प्यास में दर्द के एहसास में,
माँ है अमर बंधन निभाना कुछ नहीं।
माँ की आँखों में कभी आसूं न हो,
माँ धर्म है कहना सुनाना कुछ नहीं।
माँ नहीं तो मैं नहीं पर माँ तो है,
माँ को अधरों पर उठाना कुछ नहीं।
कुछ नहीं रख साथ में माँ की दुआएं,
माँ तो माँ है आजमाना कुछ नहीं।
माँ मेरे सुख-दुःख कहाँ जानती है,
सब जानती मम्मा बताना कुछ नहीं।