प्यार खुश्बू है बिखर जाता है,
दिल अगर चाहे निखर आता है।
संग-ऐ-दिल लाख सही दीवाना,
अगर छूलूँ तो पिघल जाता है।
दस्त-ऐ-सहरा की सुलगती राहें,
ठंडी दरिया सा नज़र आता है।
आप कितने भी लगा दे परदे,
ये दिवारों पे उभर आता है।
रंग में कई रंग छुपे होते हैं,
इश्क में सही रंग नजर आता है।
जब दुआ बनके लवों से निकले,
क़तरे-क्तरे में हुनर आता है।
तुम वफ़ा आज निभालोगे अगर,
सब्र कर मेरा ही घर आता है।
लाख मौजें भी बिखर जाती हैं,
प्यार में जब भी भंवर आता है।
प्यार एहसास है रव की नेमत,
सोच कर मन भी सिहर जाता है।