इतनी ज्यादा भी मेहरबानी ना कर,
तू बख्श दे मुझको लहू पानी ना कर।
आज पैरों पर खड़ा होकर दिखादे,
ओ आदमीं बदनाम जवानी ना कर।
मुफ़्त में मिलता नहीं कोई खजाना,
यूँ वक्त को खोकर निगहबानी ना कर।
सोच कर अपना क़दम आगे बढ़ा ना,
रख यकीं तू कोई नादानी ना कर।
टूटते रिश्ते मेरे घर कांच के हैं,
पथ्थरों से डर यार मनमानी ना कर।
हर कदम पर मोड़ लेना छोड़ दे न,
तू मंजिलो से दूर अगवानी ना कर।
ईमान की खातिर गलतफहमीं नहीं,
फिर मांग लेना जान कुर्बानी ना कर।
या मिटाना या मिटा देना हुज़ूर,
बात -बात पर यार परेशानी न कर।