सुलगते सवालों की तस्वीर हो तुम,
दिल जानता है मेरी पीर हो तुम।
उड़ना भी चाहूं तो संभव नहीं है,
मेरे पांव की यार ज़ंजीर हो तुम।
मेरी ज़िन्दगी की हक़ीक़त तुम्हीं हो,
मैं तैयार हूँ आज तक़दीर हो तुम।
कहीं दूर मैं छोड़ आया हूँ सपने,
गुमनामीं मै और मशहूर हो तुम।
जब पांव का तुमने काँटा निकाला,
कोई रांझा नहीं पर हीर हो तुम।
तेरे साथ चलके कहाँ आ गए हम,
नहीं जानता मेरी जागीर हो तुम।
हैं अँधेरे-उजाले मेरी ज़िन्दगी के,
तह-ऐ-दिल से सुन आज मंजूर हो तुम।
अभी गुलिस्तां में हैं फूलों के मंजर,
चले आइये कितने मगरूर हो तुम।
मैं सजदे में तू इबादत में है न,
साँस-ए-मोहब्बत की तासीर हो तुम।
कभी आरती कभी पूजा की थाली
गुनाहों की खातिर शमशीर हो तुम।
अब हटा लीजिए फांसले दरमियां से,
करीब आ भी जा अभी दूर हो तुम।