शिकवा लहरों से नहीं समन्दर से गिला है,
बाहर उजाले हैं मगर अन्दर अँधेरा है।
साथ अब लगता नहीं है आसमां भी दोस्त,
आखिर सितारों को ज़मीं पर क्या मिला है।
पुकारा जाएगा जब-जब हमारे नाम को,
करूंगा सामना भी हमारा फैसला है।
बदल कर देखते अपना नज़रिया आप भी,
कहीं प्यास पानी का जरा सा फासला है।
दिखता नहीं है प्यार आँखों में तुम्हारी,
अब मेहरबां का दिल किसी पर आशना हैं।
है मुबारक़ ज़िन्दगी तो हम जियेंगे उम्रभर,
देख लेंगे सब्र कर क्या मुक़द्दर में लिखा है।
होता नहीं फिर भी यकीं करना पड़ेगा सुन,
अरे आदमीं सच-झूठ का इक सिलसिला है।
क़हर ने दी सफाई तो कचहरी रो पड़ी,
मेरे अपने चिरागों से फिर घर जला है।
गज़ब का हौंसला देखा सुलगते दिल बुझाए,
अकेला था मगर भीड़ से जमकर लड़ा है।