आसां था सफर मुश्किल पाँव के छाले बताते हैं,
उजालों की सही औकात अँधेरे दिखाते हैं।
मैं वक्त हूँ गिनती नकारों में कभी मत कीजिये
कभी रुकते नहीं थकते नहीं चलते ही जाते हैं।
चाहे मुफलिशी का दौर हो या रईसी का जश्न,
हम रंगों में है खुशरंग नहीं आंसूं बहाते हैं।
सीने में जोश भरा आँखों में गजब का जादू,
लहरों के सहारे कशती हम नहीं चलाते हैं।
आगाज़ अगर अच्छा हो तो अंजाम से क्या डरना,
किस्मत के भरोसे बैठेंगे नहीं जश्न मनाते हैं।
मेरे जुनून से अन्जान हो,अच्छी है खुशफहमी,
तूफां से दोस्ती,आंधी में दीपक जलाते हैं।
कभी आपकी आँखों के सपने,मर नहीं सकते,
इनको पूरा करके दम लेंगे कसम उठाते हैं।