बे-वजह यादों को शर्मिंदा न कर,
मेरे ख़्वाबों को यूँ ज़िंदा न कर।
परे रख दो उठा कर ज़िन्दगी को,
पराए हो गए है मुझे सोचा न कर।
जिये तकदीर के रहम-ओ-करम पर,
कुछ नहीं हासिल तेरा-मेरा न कर।
फिर कहीं बदनाम न करदे ज़माना,
अब यहाँ पर देर तक बैठा न कर।
गुजरते वक़्त के लम्हें पिरो लो आप,
आखिरी मौका है अनदेखा न कर।
बदलते हैं सिर्फ मौसम फितरत नहीं,
वहशी तूफानों से तू खेला न कर।
छोड़ दो मेरी निगहबानी हुज़ूर,
ऊँगली-ऊँगली थामकर छोटा न कर।
खुशबू उड़ा ले जाएगी पागल पवन,
तन-मन हवाओं से सभी साझा न कर।
तोड़ने की ज़िद अगर्चे आज भी है ,
तो प्यार का बंधन कहीं बांधा न कर।