अगर आपको मुझसे इतना गिला है,
तो सज़ा दीजिए हक़ तुम्हें भी मिला है।
नहीं सह सका बढ़ती नजदीकियों को,
आपका दिल किसी अज़नबी से मिला है।
रात काली है बहुत गुमशुदा रास्ते,
न आंधियां थमीं है ना दिया जला है।
अर्पण किया है तन,मन की आहुति दी,
आदमीं को सच्चा रिश्ता नहीं मिला है।
फुर्सत के चार पल मैं भी गुजार लेता,
यारों कदम-कदम पे मजमां मिला है।
ना चाक गिरेवां है बेदाग पैरहन भी,
शायद हुकूमत को मसीहा मिला है।
खामोश बैठा है हक़ीक़त से अलग ,
'अनुराग'उसे प्यार में धोखा मिला है।