तू अपने जज्बातों को काबू करना सीख,
नई-पुरानी सब बातों को लिखना सीख।
यहाँ-वहां बिखरे ये पल-छिन जुड़ जायेंगे,
कोशिश कर के हालातों से लड़ना सीख।
अपनी धुन का पक्का होना बहुत जरूरी है,
ऊँचा उठने से पहले तू गिरना सीख।
बूंद-बूंद मोती बन जाये नामुमकिन है,
बूंद-बूंद है जीवन सहज खरचना सीख।
एक छेद भी काफ़ी होगा नाव डुबाने को,
ले परख ज़िन्दगी के रिश्तों को भरना सीख।
आँखों से हैं दूर मगर साँसों में बहते,
इन लम्हों को पकड़ इन्हीं में जीना सीख।
पिंजड़े में रहकर कैसे परवाज बनेगे,
तोड़ दे बंधन आसमान में उड़ना सीख।