मत मिलो ख्वाब बनकर हमें ज़िन्दगी,
याद आते रहेंगे गम-ऐ-ज़िन्दगी।
सोचने से मुक़द्दर बदलते नहीं,
कर्म करना पड़ेगा हमें ज़िन्दगी।
हर कदम इंतहां है संभल कर चलो,
वर्ना ठोकर लगेगी तुम्हें ज़िन्दगी।
पास रहकर भी दिल में रहे फासले,
क्या करें तुमसे शिकवे-गिले ज़िन्दगी।
आज जीने की हमको वजह चाहिए,
मौत बुनने लगी सिलसिले ज़िन्दगी।
मत गिनो उँगलियों पे सितम वक़्त के,
यार लेगी नई करवटें ज़िन्दगी।
तुम मिले तो लगा वंदगी हो गई,
हो गईं पूरी सब मन्नते ज़िन्दगी।
दाग़-ए-दिल धुल गए आंसुओं में सभी,
हसरतें बन गईं मंज़िले ज़िन्दगी।