बड़ी दूर निकल जायेंगे,
जब ख्वाब पिघल जायेंगे।
बहने दो आंसू बनकर,
बेकार में जल जायेंगे।
कुछ और नहीं दो पल दो,
सभी दर्द बहल जायेंगे।
उम्मींद का फैला आँचल,
बुरे लम्हें गुजर जाएंगे।
सांसों में संजो न हमको,
खुशबू हैं बिखर जाएंगे।
कल लौट के ना आएगा,
हम आज ही मर जाएंगे।
नादाँ हैं मेरे सपने,
सोचा था निखर जायेंगे।
पास आके जुदा मत हो,
हम हद से गुजर जाएंगे।
मंझधार में यूँ ना छोड़,
'अनुराग' किधर जायेंगे।