यह मेरा सौभाग्य है कि चुनौतियों से लड़ा हूॅं मैं। इसलिए अपनी आयु से कहीं अधिक बड़ा हूॅं मैं।।
लोग अपने जीवन में मरते हैं बस एक बार ही।
परन्तु अपने प्रत्येक शोध में कई बार मरा हूॅं मैं।।
परमात्मा की देन जीवन जो है सांसों पे निर्भर।
कर्मभूमि बनाया था लक्ष्य राष्ट्रप्रेम से भरा हूॅं मैं।।
माननीय न्यायालय से भीख नहीं न्याय मांगा है।
जिसके लिए अठाईस वर्षों से निरंतर खड़ा हूॅं मैं।।
बीवी बच्चों के मोह से मुक्त कर्म करते जा रहा।
सम्पूर्ण न्याय प्राप्ति के अधिकार पर अड़ा हूॅं मैं।।