ओ प्रिया ठिठुरती ठंड में तेरा बुलाना याद है।
और मेरा सौभाग्यवश आना न आना याद है।।
वो भला कैसे छोड़ सकता हूॅं मौज मस्ती मैं।
पर जीवन भर कोल्हू का बैल बनाना याद है।।
भूलो कल की कड़वी बातें यह सुहाने पल हैं।
इन्हीं क्षणों का आनॅंदित लाभ उठाना याद है।।
सूने घर में लाल लिपस्टिक का महत्व क्या है।
तेरी समझ से परे होठों का मुस्कुराना याद है।।
यूॅं यौवन में चुनौतियों का सामना तो होता है।
वो बुढ़ापे में हमारा हॅंसना एवं हॅंसाना याद है।।
स्वरचित
डॉ. इंदु भूषण बाली
ज्यौड़ियॉं (जम्मू)
जम्मू और कश्मीर