इसमें कोई संदेह नहीं है कि मुझे मानवता ने मारा, भाई बंधुओं ने घसीटा, मित्र वर्ग ने शत्रुता की और माननीय उच्च न्यायालय के तथाकथित माननीय विद्वान न्यायाधीश ने निरापराध दंड दिया था। परन्तु मैं संवेदनशीलताओं सहित सदैव संघर्षरत रहा और अपने समक्ष प्रकट हुई सम्पूर्ण शारीरिक, मानसिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक व संवैधानिक चुनौतियों का निडरतापूर्वक सामना करता रहा हूॅं। उपरोक्त चुनौतियों के अलावा मुझे अंतरराष्ट्रीय बीमारियों ने भी घेर रखा था। परन्तु न तो मैं मरा और ना ही अपने उद्देश्य में हारा था। बस पारदर्शी रहा और समय परिवर्तन होने की प्रतीक्षा करता रहा हूॅं। मुझे प्रकृति पर पूरा भरोसा था कि वह अवश्य एक न एक दिन मुझे विजयश्री दिलवाएंगी।
विजयश्री प्राप्ति की अभिलाषा और कष्टदाई जीवन यात्रा में मुझे पारिवारिक सुखों से भी वंचित होना पड़ा था। हालांकि आज भी नितांत अकेला और पारिवारिक सुखों से वंचित हूॅं। इसके बावजूद प्रसन्नचित और अपने-आपको सौभाग्यशाली मानता हूॅं। चूंकि मैंने उजाड़ वन में वनस्पति और बसंत ऋतुएं देखी हैं। उनमें रंगबिरंगे फूल खिले देखे हैं। मैंने अनारों का ही नहीं बल्कि आंवलों का स्वाद भी चखा है और दूसरों को भी चखाया है। आमों के आम और गुठलियों के दाम का भी रसपान किया है। इसी सिक्के के दूसरे पहलू में समाचार पत्र बेचकर चवन्नियां-अठन्नियां एकत्रित कर मैंने गरीबी का भी आनन्द लिया है। यही नहीं मैंने मांग कर खाना खाने पर भी अपना हौसला बढ़ाया है और अशक्ति में भी शक्ति का प्रदर्शन करते हुए कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं। जिसपर मुझे असीम गर्व है।
गर्वित इसलिए भी हूॅं चूंकि मैं भारतीय हूॅं और भारत साधु संतों का विशाल देश है। जहां त्याग और तपस्या पति-पत्नी के रूप में रहते हैं। जहां नारी को शक्ति और नर को नारायण मानते हैं। जहां माताएं शूरवीरों को मात्र जन्म ही नहीं देतीं बल्कि अपने शिशुओं को जन्म से ही वीरता की कहानियां भी सुनाती हैं। ताकि उन्हें अपने जीवन में भारत माता की रक्षा एवं सुरक्षा हेतु युद्धक्षेत्र में तांडव नृत्य करने का अवसर मिले या दीवारों में चिनने का सौभाग्य प्राप्त हो, तो वे सिर झुकाने से सिर कटवाने पर गर्व करें।
इसके बावजूद हमारा भारत देश शांतिप्रिय देश है। परन्तु पानी सिर से ऊपर बहने पर द्वापर युग का कुरूक्षेत्र हो या त्रेता युग में श्रीलंका हो भारतीय रक्तपात कर रक्त की नदियां बहाने में पीछे नहीं हटते। चूंकि हमारा डीएनए (डिऑक्सीराइबो न्यूक्लिक एसिड) ही संन्यासियों का है। इसलिए हम शत्रु के घर में घुसकर मारने में युगों-युगों से दक्ष हैं। यही दक्षता हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत सरकार ने कई बार दिखाई और अब चंद्रयान-3 के माध्यम से विश्व कीर्तिमान स्थापित कर दिया है। ऐसे में हम किसी से कम नहीं हैं।
जब हम किसी से कम ही नहीं हैं तो ऐसे में किस में दम है कि कोई हमारा सौभाग्य छीन ले? इस आधार पर हम सौभाग्यशाली हैं। भले हममें से किसी का पद बड़ा या छोटा हो। परन्तु हमारे संविधान ने हमें एक समान माना है और समानता का अधिकार भी दे रखा है। जिसके अंतर्गत हम एक पैसे की धोखाधड़ी और विश्वासघात के लिए करोड़पतियों को ही नहीं बल्कि अरबपतियों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करवाने का इतिहास भी रचा सकते हैं। ऐसे ही हम चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी होने पर अपने विभाग के निर्देशक को भी कटघरे में खड़े कर सकते हैं और दशकों बाद भी भ्रष्टाचार से लिप्त उच्च से उच्चस्थ पदों पर विराजमान शक्तिशाली अधिकारियों को दंडित भी करवा सकते हैं। इसलिए सम्पूर्ण विश्व में हमसे बड़ा सौभाग्यशाली कौन हो सकता है? जय हिन्द। सम्माननीयों ॐ शांति ॐ
प्रार्थी
इंदु भूषण बाली
व्यक्तिगत रूप से याचिकाकर्ता (पिटीशनर इन पर्सन)
वरिष्ठ लेखक व पत्रकार, राष्ट्रीय चिंतक, स्वयंसेवक, भ्रष्टाचार के विरुद्ध विश्व की लम्बी ग़ज़ल, राष्ट्रभक्ति एवं मौलिक कर्तव्यों के नारों में विश्व कीर्तिमान स्थापितकर्ता
एवं
भारत के राष्ट्रपति पद का पूर्व प्रत्याशी,
वार्ड अंक 01, डाकघर व तहसील ज्यौड़ियां, जिला जम्मू, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर, पिनकोड 181202।