हौले-हौले पीर दिल की गुनगुना लेना,
थोड़ा-थोड़ा रोज खुद को हौंसला देना।
हो आप पत्थर के नहीं इंसान हो आखिर,
होता है तुम्हें दर्द भी सबको बता देना।
दोस्तों रुकती नहीं है वक्त की रफ़्तार कभी,
सबको इसी रफ़्तार से चलना सिखा देना।
जो मर गया वो लौटकर आता नहीं है यार,
मत उसके इंतज़ार में खुद को मिटा देना।
हजारों हैं तुम्हारे चाहने वाले यहाँ,
कोहनूर को ना आप सस्ते में लुटा देना।
हुनर के पारखी मिल जाएंगे इस भीड़ में,
तुम्हें जब-जब तराशा जाए आजमा लेना।
पैरवी होगी फिर से कुरेदा जायेगा,
मरहम नहीं अब ज़ख्म को नासूर बना देना।
गिरते-गिरते आसमान से टूट गए हैं,
टुकड़े-टुकड़े बादल पी प्यास बुझा लेना।
तिलमिला कर मगरूर दरख्तों को तोड़ेंगी,
कमबख्त आँधियों आएँगी शजर झुका लेना।