***गजल***
प्यार तो है दिल में कैसे हासिल होगा,
कब मेरा दिल यार तेरे काबिल होगा।
यूँ तो सब खुशरंग दिखाई ही देता है,
मुझमें भी कहीं तेरा रंग शामिल होगा।
कुछ ख़्वाबों का नाम हमारे करदो आज,
आपके ही क़दमो में सुख हांसिल होगा।
ख्वाब था शायद!ख्वाब ही होगा अपनापन,
बिना तुम्हारे मरना भी तो मुश्किल होगा।
जिस वक़्त इबादत घर में भी मन चौंक उठा,
इस बार भी तू चुपके-चुपके दाखिल होगा।
कहाँ-कहाँ तुम हमको तन्हा छोडे हो,
अब तो इक-इक क़दम बढ़ाना बोझिल होगा।
रास्ते और मुसाफिर सब किनारा कर गये,
'अनुराग' तुम्हारा आज नहीं तो कल होगा।