सर्वविदित है कि जम्मू कश्मीर कला, संस्कृति एवं भाषा अकादमी जम्मू दो दिवसीय हिंदी साहित्य सम्मेलन का आयोजन नौ नवंबर दो हजार तेईस से लेकर दस नवंबर दो हजार तेईस तक के.एल. सहगल सभागार में कर रही है, जिसका सर्वप्रथम आकर्षक विषय '21वीं सदी के दूसरे दशक में जम्मू कश्मीर का हिंदी साहित्य' है, जिसमें अकादमी के आदरणीय सचिव श्री भरत सिंह मन्हास जी ने सभी को खुला सादर आमंत्रित किया हुआ है।
सौभाग्यवश कार्यक्रम की रूपरेखा का आकर्षण बिंदु उसके प्रथम दिवस अर्थात नौ नवंबर में उद्घाटन सत्र है, जिसका शुभारम्भ प्रातः साढ़े दस बजे होगा और दोपहर बारह बजे तक चलेगा, जिसमें सर्वप्रथम दीप प्रज्जवलित कर साहित्य की देवी सरस्वती जी की विधिवत वंदना की जाएगी और उसके उपरान्त अकादमी के आदरणीय सचिव श्री भरत सिंह मन्हास जी आमंत्रित अतिथियों का स्वागत करते हुए संबोधन करेंगे। उनके उपरांत आदरणीय सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ. राज कुमार जी कुंजी भाषण देंगे। वर्णनीय है कि उक्त उद्घाटन सत्र में हिन्दी भाषा के महाविद्वान डॉ. आदर्श प्रकाश जी कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में और डॉ. सतीश विमल जी प्रधानता के रूप में एक साथ मंचासीन होंगे।
उल्लेखनीय है कि उपरोक्त उद्घाटन सत्र की समाप्ति पर अर्थात सवा बारह से लेकर साढ़े बारह बजे तक का समय चायपान के लिए निर्धारित किया हुआ है।
प्रथम सत्र बारह पैंतालीस से दो बजे तक चलेगा, जिसकी अध्यक्षता वयोवृद्ध महाविद्वान डॉ. ओम गोस्वामी जी एवं डॉ. आदर्श प्रकाश जी करते हुए मंच पर विराजमान होंगे। इस सत्र के पत्रवाचक सर्वप्रथम डॉ. शिक्षा शर्मा जी '21वीं सदी के दूसरे दशक का हिन्दी कथा साहित्य, विविध आयाम' विषय पर पढ़ेंगी और उनके उपरांत हिन्दी लघुकथा के विशेषज्ञ श्री नरेश उदास जी 'हिन्दी लघुकथा का वर्तमान रूप एवं जम्मू कश्मीर में लघुकथा की दशा' पर श्रोताओं की उदासीनता दूर करेंगे। जिसके उपरांत अध्यक्षीय उद्बोधन में पढ़े गए पत्रों पर अध्यक्षीय टीका-टिप्पणी होगी और तत्पश्चात दो बजे से लेकर अढ़ाई बजे तक भोजनावकाश होगा।
द्वितीय सत्र भोजनावकाश के उपरांत दो पैंतीस से लेकर तीन पैंतीस तक होगा, जिसकी अध्यक्षता पूजनीय श्रीमती किरण बख्शी जी एवं विख्यात साहित्यकार डॉ. अग्निशेखर जी करेंगे। उक्त सत्र के पत्रवाचक आदरणीय शेख मोहम्मद कल्याण जी '21वीं सदी के दूसरे दशक का हिन्दी कथा साहित्य, विविध आयाम' का कल्याण करते हुए अपना पत्र पढ़ेंगे और उनके उपरांत आदरणीय आरती देवी जी '21वीं सदी के दूसरे दशक में जम्मू कश्मीर की हिन्दी ग़ज़ल प्रवृत्तियॉं' पर अपने ज्ञानवर्धक पत्र के माध्यम से श्रोताओं को ज्ञान बांटेंगी। उसके बाद श्रीमती किरण बख्शी जी और डॉ. अग्निशेखर जी अध्यक्षीय भाषण से उपरोक्त विद्वानों के पत्रों के गुण दोषों पर टिप्पणियॉं करेंगे। इसके साथ ही चार बजे उपस्थित अतिथियों को चाय का न्यौता दिया जाएगा और चाय विराम के उपरांत चार बजकर दस मिनट से कार्यक्रम समाप्ति तक निर्धारित संगीत संध्या में सुरों के आनन्द का अकादमी द्वारा विशेष प्रबंध किया गया है।
द्वितीय दिवस अर्थात शुक्रवार को अर्थात दिनांक दस नवंबर दो हजार तेईस के प्रथम सत्र में दस-तीस से ग्यारह-पैंतालीस तक चलेगा, जिसकी अध्यक्षता का भार सुप्रसिद्ध नाट्य निर्देशक श्री दीपक कुमार जी और प्रोफेसर भारत भूषण जी उठाएंगे। इसमें तीन पत्रवाचक अपने पत्र पढ़ेंगे, जिसमें सर्वप्रथम डॉ. पवन खजूरिया जी '21वीं सदी के दूसरे दशक में जम्मू कश्मीर का हिन्दी व्यंग लेखन' पर व्यंग्यात्मक शैली के प्रभावों एवं दुष्प्रभावों पर आधारित अपनी लेखनी का जौहर दिखाएंगे, जबकि उनके बाद आदरणीय श्री राजेश्वर सिंह राजू जी '21वीं सदी के दूसरे दशक में हिन्दी साहित्य "अनुदित शब्द ही नहीं भाव भी हो" पर अपनी पैनी लेखनी द्वारा लिखे विभिन्न दृष्टिकोणों से अपने पत्र के माध्यम से अपने सुविचार व्यक्त करेंगे और अंत में आदरणीय डॉ. कोशिका शर्मा जी '21वीं सदी के दूसरे दशक का हिन्दी कथा साहित्य, विविध आयाम' पर अपना पक्ष रखेंगी। इसके बाद परम्परागत अध्यक्षीय वक्तव्यों में पहली बार सुप्रसिद्ध नाट्य निर्देशक श्री दीपक कुमार जी एवं प्रो. भारत भूषण जी को हमें सुनने का सुनहरा अवसर मिलेगा जो अपने अनमोल शब्दों से उपरोक्त तीनों विद्वानों के पत्रों के गुण दोषों की भूरी भूरी प्रसंशा करते हुए कमियों पर भी प्रकाश डालेंगे। उसके उपरांत श्रोताओं को पुनः स्फूर्ति देने हेतु कार्यक्रम पर ग्यारह-पचास तक चाय के लिए अल्प विराम लगाया जाना तय है।
उल्लेखनीय है कि बारह बजे से लेकर एक-पैंतालीस तक के निर्धारित समय में द्वितीय सत्र का शुभारम्भ होगा, जिसमें आदरणीय श्री पी.एन. त्रिसल और पूजनीय अनिला सिंह चाढ़क जी अध्यक्षता करते हुए मंच पर आसीन होंगे और उक्त सत्र में दो पत्रवाचक अपने पत्र पढ़ेंगे। इनमें सर्वप्रथम आदरणीय सपना देवी जी '21वीं सदी के दूसरे दशक में जम्मू कश्मीर का हिन्दी साहित्य "बाल कविता" पर और श्री विजय वली जी '21वीं सदी के दूसरे दशक में करोना काल "जम्मू कश्मीर का हिन्दी साहित्य" पर अपनी लेखनी द्वारा विस्तारपूर्वक समालोचना करेंगे। उक्त पत्रों पर भी विद्वान अध्यक्ष अपने अपने अध्यक्षीय सम्बोधन करेंगे और उसके उपरांत दो बजे से लेकर अढ़ाई बजे तक भोजनावकाश होगा।
भोजनावकाश के बाद अढ़ाई बजे से लेकर समाप्ति तक कवि गोष्ठी होगी, जिसकी अध्यक्षता विख्यात लेखक डॉ. निर्मल विनोद जी करेंगे। जिनका लेखकीय कद दूसरों द्वारा लिखे गए परिचय के अपेक्षित नहीं है।
अतः अंत में प्रश्न स्वाभाविक हैं कि क्या जम्मू कश्मीर कला, संस्कृति एवं भाषा अकादमी जम्मू द्वारा आयोजित मात्र दो दिवसीय हिंदी साहित्य सम्मेलन यहॉं की हिन्दी भाषा के विकास एवं विस्तार के लिए पर्याप्त है? अर्थात क्या हम आड़े-तिरछे चित्र चित्रण से अंतराष्ट्रीय चित्रकार बन जाएंगे? प्रश्न तो यह भी गंभीर है कि जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश से साहित्य अकादमी दिल्ली की हिन्दी भाषा की सलाहकार परिषद में अब तक हमारा कोई भी सदस्य क्यों नहीं है और हिन्दी भाषा में अब तक हमारे किसी भी साहित्यकार को हिंदी भाषा में साहित्य अकादमी दिल्ली से कोई भी पुरस्कार क्यों प्राप्त नहीं हुआ है? और तो और उल्लेखनीय प्रश्न यह भी है कि शुद्ध हिन्दी में "राष्ट्र के नाम संदेश" नामक ग़ज़ल संग्रह एवं भ्रष्टाचार पर विश्व की सबसे लम्बी ग़ज़ल लिखने का विश्व कीर्तिमान स्थापित करने के बावजूद जम्मू कश्मीर कला, संस्कृति एवं भाषा अकादमी कब तक मुझे अंतरराष्ट्रीय लेखक नहीं मानती? सम्माननीयों जय हिन्द
प्रार्थी
इंदु भूषण बाली
व्यक्तिगत रूप से याचिकाकर्ता (पीटीशनर इन पर्सन)।
वरिष्ठ अंतरराष्ट्रीय लेखक व राष्ट्रीय पत्रकार, राष्ट्रीय चिंतक, स्वयंसेवक, भ्रष्टाचार के विरुद्ध विश्व की लम्बी ग़ज़ल, राष्ट्रभक्ति एवं मौलिक कर्तव्यों के नारों में विश्व कीर्तिमान स्थापितकर्ता
एवं
भारत के राष्ट्रपति पद का पूर्व प्रत्याशी,
वार्ड अंक 01, डाकघर व तहसील ज्यौड़ियां, जिला जम्मू, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर, पिनकोड 181202।