प्राकृतिक व्यक्तित्व में निखार आता है।
मेरे क्रोध पर भी आपको प्यार आता है।।
यह अनुकंपा एवं ईश्वरीय आशीर्वाद है।
अन्यथा प्यार भी कहां सरकार आता है।।
यह सृष्टि अत्यंत आलौकिक है लेकिन।
दुर्लभ मित्र पर मित्रों का प्रहार आता है।।
देखे थे स्वप्न मैंने जागृत अवस्थाओं में।
लालच में जब भाइयों में दरार आता है।।
रिश्ते ही रिश्तों को बर्बाद करते देखे हैं।
सालों को जीजे पे कहां दुलार आता है।।
मस्तिष्क की सारी नसें साक्ष्य हों भले।
पर दुर्व्यवहार से ही दुर्व्यवहार आता है।।
कर्म फल कहें या कर्मों की मार कहें।
जिन्हें भोगने प्राणी बारम्बार आता है।।
पागल की संज्ञा ही पागलपन है मित्रो।
जीवन अनमोल कहां दो बार आता है।।