सबकुछ भूलकर अपने घर आ जाओ।
ईश्वरीय अनुकंपा समझ तुम छा जाओ।।
समय है प्रेम की परीक्षा न लो प्रियतमा।
आओ अपनी इच्छा के गीत गा जाओ।।
मत करो भरोसा तथाकथित अपनों पे।
सुनलो मेरी और अपनी गुनगुना जाओ।।
विष अमृत में बदल जाता है मेरी जान।
सांपों के डसे को तुम विष पिला जाओ।।
आ जाओ, आ जाओ, बस आ जाओ।
ऑंखों से बहती बाड़ को सुखा जाओ।।
मेरे प्रेम की परीक्षा में यद्यपि तुम चाहो।
शेष बचे अत्याचार भी मनसे ढा जाओ।।