मेरी सीमांत योग्यता को जिसने भी ललकारा है।
ईश्वर साक्षी है वे हर क्षण और स्थान पर हारा है।।
भारत देश है मेरा और सौभाग्यवश मैं भारतीय।
भारतीयता को जो भी मानें मुझे अत्यंत प्यारा है।।
तिरंगा ऊंचे से ऊंचा लहराना मेरा लक्ष्य सुहाना।
रक्तचाप हर लेता क्योंकि वह मेरा प्रेम दुलारा है।।
मेरी सफलता या विफलता का कोई नहीं महत्व।
चूंकि सम्पूर्ण जीवन चुनौतियों को मैंने पुकारा है।।
भ्रम और भ्रष्टाचार समाप्त करना आवश्यक था।
जिस के लिए पाया मैंने पारिवारिक छुटकारा है।।
कोई भी व्यक्तित्व हो कितना बड़ा विस्फोटक।
मिट्टी में मिलाया उसे धोबी घाट पर पटकारा है।।
प्राणों की आहुतियों से अधिक झेले कष्ट मैंने।
सोने दो सौभाग्य से मिला अपनों का सहारा है।।
देश से देशद्रोह मत कर मैं सहन नहीं करूंगा।
भारत की गौरवान्वित मिट्टी ने मुझे पुकारा है।।
जीवन मेरा अनमोल वचन अनमोल ही विचार।
भूल जाऊंगा सबकुछ किसने मुझे फटकारा है।।
देखो सब मान गए जो कहते थे निठल्ला कभी।
भाग्यशाली कहते न कि पागल और आवारा है।।
छोड़ूंगा नहीं यह प्रण है मेरा सुन लो प्राणप्रिया।
एक एक से प्यार करूंगा जिसने भी दुत्कारा है।।