मैं भारतीय जम्मू और कश्मीर हूॅं।
भूषण की शशि, रांझे की हीर हूॅं।।
मेरा सौभाग्य मैं पुनर्जीवित हुआ।
पौरुष बल से अभिनंदन शरीर हूॅं।।
जो भी है तुम्हारे समक्ष प्रस्तुत है।
मैं अद्वितीय एवं भूतों का पीर हूॅं।।
अकादमी पुरस्कार से पुरस्कृत न।
भौतिक रूप से स्वस्थ शूरवीर हूॅं।।
मिलन की शीघ्रता मुझे नहीं पर।
शुभकामनाओं के लिए अधीर हूॅं।।
मुझे तो यूंही आकाश में उड़ने दो।
झूलों का सावन, मेघों का नीर हूॅं।।