पिछले कल अर्थात 23 जनवरी 2024 को साधुत्व से परिपूर्ण महान सेवक, साधक, जनहित याचिकाओं के बेताज बादशाह अर्थात मुकुटविहीन राजा , चरमरा चुकी लोकतांत्रिक व्यवस्था को सुधारने हेतु असंख्य बार "सुधार गृह" अर्थात "जेल" यात्रा का आनन्द उठा चुके निडर एवं बिंदास लेखक आदरणीय श्री रमेश अरोड़ा जी की "आत्म संगीत" पुस्तक के लोकार्पण समारोह में मुझे सम्मिलित होने का गौरवान्वित सौभाग्य प्राप्त हुआ था।
इसके अतिरिक्त शनिदेव जी की अपार कृपा से आलौकिता के क्षेत्र में मेरे जीवन के स्वर्णिम समय का सौभाग्यशाली परिवर्तन यह भी हुआ था कि उक्त समारोह में सम्मिलित होने के लिए, अपने बेटे द्वारा खरीदी नवीनतम कार में बैठकर मैंने प्रथम बार कल्चरल अकादमी जम्मू में प्रसन्नतापूर्वक प्रवेश किया था और प्रथम बार ही आत्मनिर्भरता से आदरणीय एडवोकेट जनरल श्री डी.सी. रैना जी से हाथ मिलाया था। जबकि उनसे मेरी प्रथम भेंट तत्कालीन माननीय जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय के माननीय न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री ए.एम.मीर जी की एकल पीठ में 1996 में हुई थी।
सच तो यह भी है कि इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड की ओर से मेरे वर्ल्ड रिकॉर्डस बनाने के आधार पर "वर्ल्ड रिकॉर्ड यूनिवर्सिटी" द्वारा डॉक्टरेट की मानिद उपाधी से सम्मानित होने के उपरान्त प्रथम बार ही मुझे डॉक्टर के नाम पर आदरणीय श्री रमेश अरोड़ा जी के कर कमलों द्वारा हस्ताक्षरित भेंट स्वरूप पुस्तक प्राप्त हुई थी जिससे मेरा प्रफुल्लित होना स्वाभाविक था।
उल्लेखनीय है कि डायमंड बुक्स द्वारा प्रकाशित एवं आदर्श प्रिंटर्स द्वारा मुद्रित श्री अरोड़ा जी की उपरोक्त विमोचित उत्कृष्ट पुस्तक में प्रकाशित उनकी अनमोल, भावपूर्ण इकहत्तर कविताओं में से साहित्यिक दृष्टि से अत्यधिक प्रभावित "चुनिंदा" मूल्यवान कविताओं पर जम्मू और कश्मीर कला, संस्कृति एवं भाषा अकादमी ने अकादमी राइटर्स क्लब के के.एल. सहगल सभागार में एक संगीत कार्यक्रम का भी भव्य आयोजन किया हुआ था। कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि उक्त पुस्तक का शुल्क मात्र ₹२०० रखा गया है। ध्यान रहे कि उपरोक्त कार्यक्रम का संचालन कर रही सुश्री अमर चौहान जी ने संचालिका के रूप अद्वितीय भूमिका निभाई और प्रशंसा की पात्र बनीं।
सर्वविदित है कि कार्यक्रम की शोभा बढ़ाने हेतु जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश की सरकार के आदरणीय मुख्य सचिव श्री अटल डुल्लू जी (भारतीय प्रशासनिक सेवा) मुख्य अतिथि थे। जबकि सांस्कृतिक विभाग के आदरणीय प्रमुख सचिव श्री सुरेश कुमार गुप्ता जी (आईएफएस) और माननीय जम्मू और कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय के महा अधिवक्ता अर्थात एडवोकेट जनरल आदरणीय श्री डी.सी. रैना जी "सम्मानित अतिथिगण" थे।
वर्णनीय है कि आदरणीय श्री डी.सी. रैना जी ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाते हुए कल्चरल अकादमी के आदरणीय सचिव श्री भारत सिंह मन्हास जी का मान बढ़ाया था। जबकि मुख्य सचिव आदरणीय श्री अटल डुल्लू जी और प्रमुख सचिव श्री सुरेश कुमार गुप्ता जी अज्ञात सरकारी कार्यों में व्यस्तता के आधार पर उक्त कार्यक्रम की शोभा बढ़ाने में असफल रहे। हालॉंकि उनके आने की अत्यधिक प्रतीक्षा भी की थी जिससे आए हुए अतिथियों को असुविधा हुई थी। परन्तु सौभाग्यवश अभूतपूर्व भरी सभागार में श्री रमेश अरोड़ा जी का कार्यक्रम पूर्णतया सफल हुआ।
कार्यक्रम में संगीत की दुनिया के मनभावन विख्यात संगीतकार एवं अकादमी डोगरी शीराज़ा के सेवानिवृत्त सम्पादक आदरणीय श्री बृजमोहन जी द्वारा संगीतबद्ध "संगीत" सुनने के साथ-साथ अतिथियों को सार्वजनिक पुस्तकें भी वितरित की गई थीं। जबकि आदरणीय श्री बृजमोहन जी एवं उनके सहयोगी कलाकारों सर्वश्री रेयाज मलिक जी, नीलम लंगेह जी, विशाखा भारद्वाज जी, नमनीत कौर जी, राकेश जसोत्रा जी, सुनील शर्मा जी, नीरज वर्मा जी, दरबारी लाल जी और जगमीत सिंह जी को "सम्मानित अतिथिगणों" सर्वश्री डी.सी. रैना जी, पंजाबी के विख्यात लेखक आदरणीय श्री खालिद हुसैन जी एवं भूतपूर्व मंत्री आदरणीय श्री अब्दुल गनी कोहली जी के कर कमलों द्वारा भेंट स्वरूप अर्पित की गईं। जिस पर सभागार में समस्त अतिथियों ने आदरणीय श्री रमेश अरोड़ा जी को तालियॉं बजाकर ढेरों शुभकामनाएं दी थीं।
अंत अकादमी की ओर से अकादमी के संस्कृति अधिकारी आदरणीय डॉ. शाहनवाज जी ने कार्यक्रम के इतिश्री की घोषणा करते हुए आमंत्रित समस्त उपस्थित अतिथियों को सम्मानपूर्वक चाय नाश्ते का न्यौता देते हुए विधिवत धन्यवाद किया था। सम्माननीयों जय हिन्द
डॉ. इंदु भूषण बाली
ज्यौड़ियॉं (जम्मू)
जम्मू और कश्मीर