मेरी ढाल और तलवार ग़ज़ल है।
मेरे आलेख की तेजधार ग़ज़ल है।।
मेरा जीवन निष्पक्ष जांच की मूर्त।
जिसमें तेरा निर्मल प्यार ग़ज़ल है।।
तू देवी स्वरूप धर्मपत्नी है मेरी।
सुशीला सम्पूर्ण संसार ग़ज़ल है।।
तुम मेरी और मैं सदैव तुम्हारा हूॅं।
प्रिय श्रेष्ठ युद्धों का सार ग़ज़ल है।।
क्षमा प्रार्थी हूॅं दोषी तुम्हारा बस।
खुश रहो मग्न ब्रह्माण्ड ग़ज़ल है।।
बेड बनाओ या तुम बेंड बजाओ।
खुशियों भरा सपरिवार ग़ज़ल है।।
ग़ज़ल ही युद्ध का आगमन प्रिय।
विश्व शान्ति का आधार ग़ज़ल है।।